लेखनी कविता -अंखियां तो झाईं परी -कबीर

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अंखियां तो झाईं परी -कबीर  अंखियां तो झाईं परी, पंथ निहारि निहारि।  जीहड़ियां छाला परया, नाम पुकारि पुकारि।  बिरह कमन्डल कर लिये, बैरागी दो नैन।  मांगे दरस मधुकरी, छकै रहै दिन ...

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